नेयं स्वर्णपुरी लङ्का रोचते मम लक्ष्मण
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥
हे लक्ष्मण ! यह स्वर्णपुरी लंका मुझे (अब) अच्छी
नहीं लगती । माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बडे होते है।
विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस पर समस्त स्वयंसेवको को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
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